कुछ रिश्ते आजकल उस रास्ते पर जा रहे हैं, न साथ छोड़ रहे हैं, और न ही साथ निभा पा रहे हैं…

“शिकायत नहीं ज़िंदगी से, की तेरे साथ नहीं, बस तू खुश रहना यार, अपनी तो कोई बात नहीं..”

अब न करेंगे, तुमसे कोई सवाल, काफी हक़ जताने लगे थे तुमपर, माफ करना यार..

अजीब हैं मेरा अकेलापन न तो खुश हूँ, न ही उदास हूँ, बस खाली हूँ और खामोश हूँ..

जो सबको संभालने की कोशिश करता हैं न, उसको संभालना हर कोई भूल जाता हैं…

हमने सोचा था, बताएंगे दिल का दर्द तुझको, पर तुमने तो इतना भी न पूछा, खामोश क्यों हो तुम…

न अपने साथ हूँ, ना तेरे पास हूँ, बस कुछ दिनों से, बस युही उदास हूँ।